साथी भाग 2

 

       

.          सृष्टि सीमा को पहचान चुकी थी  और आलिंगन का कसाव ही सीमा को भी अहसास करा दीया था की ये वही सृष्टि है जो कॉलेज के दिनों मे दिलो जान से चाहती थी।

. दोनों सखियों का बहन मिलाप होते ही सृष्टि बोली.... सीमा आज से तुम सारा काम छोड़ दोगी सिर्फ मेरे यहाँ काम करोगी.... """"

जी मैम.... लेकिन...

लेकिन.... वेकीन.... कुछ नहीं... और हां मैम नहीं दीदी...,

पर मे अपने कपडे सामान लाइ नहीं हूं तो... कहते हुए सीमा रुक गई..

कोई बात नहीं सब हो जायेगा....

तभी डॉ देव को कॉल करते हुए सृष्टि ने बहुत ही हंसी ख़ुशी भरे लहजे मे सीमा के बारे मे बताई....

डॉ देव भी खुश हुए की अब उसके पिता को काम से आजादी मिल जाएगी... और काम मे भी हेल्प हो जाएगी...


सब कुछ अच्छे से चलने लगा सीमा घर की सारी जिम्मेदारी बहुत ही अच्छे से उठा ली जैसे उसके खुद का घर हो....

अब किसी को कोई परेशानी नहीं थी.... सबको वक़्त से चाय नाश्ता खाना सब मिलने लगा था.... """"

अब होटल से पार्सल खाना भी आना बंद हो गया था... जिस वजह से डॉ देव और उनके पिता दोनों को घर का शुद्ध खाना नसीब हो रहा था....

इधर सृष्टि सीमा को बाकि घरों से काम करना बंद करवा दी थी... अब लगभग पूरा वक़्त सीमा होनी दोस्त सृष्टि के घर ही काम करती।

सीमा को काम करते हुए कोई 25 दिन गुजर गए थे,.... अब उसकी मेहनताना या कहे तो उसकी पगार देने की बात शुरू हो गई थी...

सृष्टि वो 24 घंटे घर मे रहती है... तो उसे उसी हिसाब से पगार दोगी ना....

नाश्ते करते हुए डॉ देव ने सृष्टि की तरफ देखे.... और सीमा को उसका पूरा पैसा मिले ये कहना चाह रहे थे डॉ देव....

हां देव मैं सीमा मजदूरी मे कोई कटौती नहीं करुँगी....

हां बहु मुझे पता है तुम बहुत बड़े दिल की हो..... ओह्ह्ह पापा कहते हुए सृष्टि ने देव की तरफ अपनी जीत का स्माइल दी....

सृष्टि और सीमा दोनों एक ही कॉलेज से पढ़े थे और दोनों की दोस्ती पक्की थी इतनी की सृष्टि कॉलेज के दिनों मे अपने बॉयफ्रेंड मयंक के साथ टाइम स्पेंड करने सीमा के घर ही चली जाती... जहाँ उसे कोई प्रोब्लेम नहीं होती और दोनों एन्जॉय करते... ये बात सीमा भली तरह से जानती थी...।

पर सीमा ओर सृष्टि दोनों पक्के मित्र है ये बात ना तो डॉ देव को पता थी ओर ना ही उनके पिता को....।


दोनों नाश्ते के बाद हॉस्पिटल के लिये निकल पड़े....

रास्ते मे सृष्टि ने देव से सवाल की... देव वैसे तुमको क्या लगती है सीमा को कितनी पगार देने चाहिए.....

डॉ देव रेड लाइट पर कार रोके... सोचते हुए बोले की अगर उसके काम और ईमानदारी के हिसाब से देखा जाये सृष्टि तो अच्छी खासी पगार बनती है। जब से आई है तुम एक भी काम नहीं की हो.. हा देव ये तो सच है... की सारा काम का जिम्मेदारी ले ली है....

दे देव ने हम्म्म्म करते हुए कार को आगे बढ़ाया....

वैसे देव मे कुछ सोच रही हूं....

क्या. ......???

मुझे भी बताओ...???

मै ये सोच रही हु की क्यों ना डैड की शादी करा दी जाये.....

व्हॉट...... देव शॉक्ड होते हुए कार को तुरंत साइड कर दीया..

सृष्टि घबरा गई देव के इस हरकत से.... वो सोची की क्या पता देव उसके इस बात को कैसे लेंगे...

कटा तुम भी ऐसा सोच रही हो.....????

सृष्टि थोड़ी अचंभित हुई और बोली..... क्या बोले तुम भी... मीन्स 


हां तुम भी मीन्स की ये बात मे भी कुछ दिनों से सोच रहा था....

ओह्ह्ह्ह देव तुम तो डरा ही देते हो.... तुम्हारी ये बचपना नहीं जाने वाली....

और फिर दोनों ऑफिस के लिये निकलते हुए बाते करते चले गए...

भाग 2 समाप्त 

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